जिस्म संदल, सांस खुशबू, आँख बादल हो गयी,आपसे घुलकर हमारी रूह पागल हो गयी.एक कंकड़ प्यार से फेंका ये किसने झील में,आज फिर ढहरे हुए दरिया में हलचल हो गयी।। on September 30, 2020 Get link Facebook Twitter Pinterest Email Other Apps Comments
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