जिस्म संदल, सांस खुशबू, आँख बादल हो गयी,आपसे घुलकर हमारी रूह पागल हो गयी.एक कंकड़ प्यार से फेंका ये किसने झील में,आज फिर ढहरे हुए दरिया में हलचल हो गयी।।

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